वैदिक साहित्य ने कलयुग अर्थात कला तथा पाखंड के इस वर्तमान युग के बारे में भविष्यवाणी की है। कलयुग का अर्थ है चतुर्थ युग। वैदिक काल कर्म के अनुसार चार विभिन्न प्रकार के युग होते हैं: सत्ययुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग। जिस प्रकार वर्ष में छ: ऋतुएं या चार ऋतुएं होती है उसी प्रकार ब्रह्मा के एक दिन में चार युगों के एक हजार आवर्तन होते हैं चार युग का अर्थ है करीब ४३,००,००० साल। यह एक बहुत लंबी अवधि है। चार युगों की अवधि है।
Name | खोए हुए आनंद की पुनः प्राप्ति |
Publisher | Bhaktivedanta Book Trust |
Publication Year | 1983 |
Binding | Paperback |
Pages | 97 |