भक्तिरसामृतसिन्धु
भक्तियोग का सम्पूर्ण विज्ञान
जीवन का मूल सिद्धान्त यह है कि , हममें किसी ना किसी से प्रेम करने की सामान्य प्रवृत्ति होती है । कोई भी व्यक्ति किसी अन्य से प्रेम किए बिना जीवित नहीं रह सकता । यह प्रवृत्ति हर जीवात्मा में विद्यमान है । वर्तमान क्षण में , मानव समाज हमें यह सिखाता है कि , हम अपने देश से , परिवार से या अपने आप से प्रेम करें , परन्तु यह जानकारी कोई नहीं देता कि , वह कौनसी जगह है , जहाँ पर प्रेम रखने के बाद हर कोइ सुखी बनता है । वह खोया हुआ बिन्दु कृष्ण है और भक्तिरसामृतसिन्धु हमें सिखाता है कि कृष्ण का वह आदि प्रेम कैसे उत्तेजित करें और उस स्थिती में कैसे आए , जहाँ पर हम आनन्दपूर्ण जीवन बिता सके ।
Name | भक्तिरसामृतसिंधु |
Publisher | Bhaktivedanta Book Trust |
Publication Year | 1979 |
Binding | Hardcover |
Pages | 406 |
Weight | 482 gms |
ISBN | 9789382716235 |