भगवद्गीता विश्वभर में भारत के आध्यात्मिक ज्ञान के मणि के रूप में विख्यात है । भगवान् श्रीकृष्ण द्वारा अपने घनिष्ठ मित्र अर्जुन से कथित गीता के सारयुक्त ७०० श्लोक आत्म - साक्षात्कार के विज्ञान के मार्गदर्शक का अचूक कार्य करते हैं । मनुष्य के स्वभाव , उसके परिवेश तथा अन्ततोगत्वा भगवान् श्रीकृष्ण के साथ उसके सम्बन्ध को उद्घाटित करने में इसकी तुलना में अन्य कोई ग्रन्थ नहीं है ।
कृष्णकृपामूर्ति श्री श्रीमद् ए.सी. भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद विश्व के अग्रगण्य वैदिक विद्वान तथा शिक्षक हैं और वे भगवान् श्रीकृष्ण से चली आ रही अविच्छिन्न गुरु - शिष्य परम्परा का प्रतिनिधित्व करते हैं । इस प्रकार गीता के अन्य संस्करणों के विपरीत , वे भगवान् श्रीकृष्ण के गंभीर संदेश को यथारूप प्रस्तुत करते हैं - किसी प्रकार के मिश्रण या निजी भावनाओं से रंजित किये बिना । सोलह रंगीन चित्रों से युक्त यह नवीन संस्करण निश्चय ही किसी भी पाठक को इसके प्राचीन , किन्तु सर्वथा सामयिक संन्देश से प्रबोधित तथा प्रकाशित करेगा ।
Name | श्रीमद् भगवद्गीता यथारूप |
Publisher | Bhaktivedanta Book Trust |
Publication Year | 1972 |
Binding | Hardcover |
Pages | 732 |
ISBN | 9789383095322 |